कैबिनेट की बैठक में लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय, विस्तार से पढ़ें
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देहरादून (सीनियर रिपोर्टर)। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में ऑपरेशन सिंदूर की अभूतपूर्व सफलता पर भारतीय सेना, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षा मंत्रालय का सर्वसम्मति से अभिनंदन प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में कहा गया कि ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सेना के अदम्य साहस, अपार पराक्रम और उत्कृष्ट रणनीतिक कौशल की सफलता को दर्शाता है। यह अभियान भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और आत्मबल का जीवंत उदाहरण बनकर सामने आया है।
मंत्रिपरिषद ने यह भी विश्वास व्यक्त किया कि यह ऐतिहासिक सैन्य अभियान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा और भारतीय सैन्य इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में सदैव अंकित रहेगा। इस प्रस्ताव को भारत सरकार और रक्षा मंत्रालय को भेजा जाएगा ताकि उत्तराखण्ड की जनता की भावनाओं से उन्हें अवगत कराया जा सके।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड वीरभूमि है, जहां से देश की सेना में सेवा देने वाले हजारों जवान देश की रक्षा में सदैव अग्रणी रहते हैं। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने पूरे देश को गौरवान्वित किया है। उन्होंने कहा कि यह अभियान भारतीय सेना की श्रेष्ठता को दर्शाता है। साथ ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के निर्णायक नेतृत्व और रक्षा मंत्रालय की दूरदर्शिता का भी परिचायक है।
मंत्रिमंडल में पारित अन्य प्रस्ताव
उत्तराखंड पावर कारपोरेशन में सुधार के लिए मैकेंजी इंडिया के सुझावों पर विभाग की ओर से पेश कार्ययोजना को मंजूरी दी गई है। उत्तराखण्ड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड की वित्तीय और परिचालन स्थिति में सुधार करने के लिए एक विस्तृत परिवर्तन योजना तैयार की गई है। इस योजना का उद्देश्य वितरण और ट्रांसमिशन नुकसान को कम करना, बिजली खरीद लागत को अनुकूलित करना और पूंजी निवेश के माध्यम से कंपनी के प्रदर्शन को मजबूत करना है। यह परिवर्तन योजना यू.पी.सी.एल. की आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करेगी और इसे एक कुशल और लाभकारी संगठन के रूप में स्थापित करेगी। इस योजना के चार प्रमुख उद्देश्य हैं। सबसे पहले यू.पी.सी.एल. की वित्तीय स्थिति को स्थिर और मजबूत करना है, जो इसके लगभग 5,000 करोड रूपये के बकाया को कम करने और पिछले छह वर्षों में हुए लगातार घाटे को समाप्त करने पर केन्द्रित है। दूसरा उद्देश्य वित्तरण और ट्रांसमिशन नुकसान को कम करना है, जो वर्तमान में हरिद्वार और उधमसिंह नगर जैसे क्षेत्रों में उच्चतर स्तर पर है। इसमें .र्जा दक्षता बढ़ाने और बुनियादी ढांचे के उन्नयन से हानियों में कमी पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। तीसरा उपभोक्ताओं को बेहतर बनाना है, ताकि उपभोक्ता, संतोष में वृद्धि और संग्रह दक्षता में सुधार हो सके। अंत में हरित .र्जा स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देना, जिससे लागत प्रभावी और पर्यावरण अनुकूल .र्जा समाधान प्राप्त हो सके। ये सभी उद्देश्य यू.पी.सी.एल. को उनके .र्जा क्षेत्र का एक विश्वसनीय और कुशल स्तंभ बनाने में सहायक होंगे।
मुख्यमंत्री राहत कोष नियमावली-2013 के नियम सं.-6 के उपनियम-4 में संशोधन किए जाने के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री राहत कोष नियमावली-2013 के नियम सं.-6 के उपनियम-4 जिसमें मुख्यमंत्री राहत कोष में प्राप्त धनराशि इस निमित्त खोले गए राष्ट्रीयकृत बैंक के खातों में जमा किए जाने का प्राविधान है, में संशोधन करते हुए राष्ट्रीयकृत बैंक के स्थान पर अनुसूचित वाणिज्य बैंक किया गया है। उक्त संशोधन करने पर मुख्यमंत्री राहत कोष जिसका वित्त पोषण दान के रूप में प्राप्त धनराशि से किया जाता है, में प्राप्त धनराशि जिसका तात्कालिक उपयोग न हो. को प्रतिस्पर्धी सौदे सुनिश्चित करते हुए कैपेबल फिक्स डिपोजिट के रूप में विनियोजित कर अधिकतम ब्याज प्राप्त किया जा सके। इस निर्णय को कैबिनेट द्वारा मंजूरी प्रदान की गई। राज्य में 15444 लाख अण्डों एवं 395 लाख कि.ग्रा. पोल्ट्री मीट की प्रतिवर्ष कमी को, दूर करने के लिए उत्तराखण्ड कुक्कुट विकास नीति-2025 प्रस्तावित है। वर्ष 2023 में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में कुछ निवेशकों द्वारा राज्य में पोल्ट्री सेक्टर में निवेश करने की इच्छा जतायी गयी। उद्यमिता को बढ़ावा देने और राज्य को पोल्ट्री क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए उक्त नीति में पोल्ट्री आधारित इकाईयों के विकास को प्रोत्साहित किया गया है। इस नीति में कॉमर्शियल लेयर फार्म एवं बॉयलर पैरेंट फार्म की स्थापना की जानी है। जिसे कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई है। इस नीति से राज्य में लगभग रू0 85 करोड़ का निजी निवेश प्राप्त होगा। कुल रू0 29.09 करोड का अनुदान प्रस्तावित है। उक्त नीति अगले 05 वर्ष तक के लिए प्रस्तावित होगी। प्राथमिकता के आधार पर स्थानीय निवासियों को रोजगार दिया जाना प्रस्तावित है। उक्त नीति को प्रख्यापित किए जाने के बाद उत्तराखण्ड से पलायन रूकेगा तथा राज्य को लगभग 50 लाख प्रति वर्ष जी.एस.टी. की प्राप्ति होगी। प्रतिवर्ष लगभग 32 करोड़ अण्डों एवं 32 लाख टन मीट का उत्पादन होगा। इससे उत्तराखण्ड में अण्डों एवं मीट का आयात नहीं करना पड़ेगा। उक्त नीति से राज्य में लगभग 1000 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष तथा लगभग 3500 व्यक्तियों को अप्रत्यक्ष रूप में रोजगार प्राप्त होगा।
निराश्रित गोवंश के लिए गोसदनों के निर्माण एवं उनके भरण-पोषण के लिए नीति के संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया है कि निराश्रित गोवंश के लिए गोसदनों गोशालाओं की स्थापना ध् सुविधाए संबंधी निर्माण कार्य सम्बन्धित जनपदों के जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय समिति के अंतर्गत करवाया जायेगा। इस के लिए एकीकृत बजट की व्यवस्था पशुपालन विभाग के सम्बन्धित मानक मद में की जायेगी। इसी प्रकार वर्तमान प्रचलित व्यवस्था के अंतर्गत उक्त गोसदनों में निराश्रित गोवंश के भरण पोषण के लिए बजट की व्यवस्था पशुपालन विभाग के संगत मदो में करते हुए उसे सम्बन्धित जिलाधिकारी के निवर्तन पर रखा जायेगा। निराश्रित गोवंश को भरण पोषण के लिए दिए जाने वाले अनुदान एवं उनके लिये निर्मित होने वाले गोशालाओं के लिये बजट आवंटन के लिए पशुपालन विभाग नोडल विभाग होगा। इस के लिए बजट की व्यवस्था पशुपालन विभाग के संगत मानक मदों में की जायेगी। नगर निकायों द्वारा संचालित कांजी हाउस के संचालन एवं उससे सम्बन्धित व्ययों के संबंध में पशुपालन विभाग का दायित्व मात्र निराश्रित गोवंश के चिकित्सकीय उपचार तक सीमित होगा तथा कांजी हाउसों का संचालन पूर्व की भांति नगर निकायों द्वारा ही किया जायेगा।
5 करोड़ तक के सभी आगणनों, प्रस्तावों की जिला स्तरीय टी.ए.सी. द्वारा अनिवार्य रूप से जॉच की जायेगी। रू0 01 करोड़ से अधिक के आगणनों की वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति शासन स्तर पर गठित समिति के माध्यम से यथाप्रक्रिया प्रदान की जायेगी। सम्बन्धित जिलाधिकारी द्वारा निराश्रित गोवंश के लिए गोशाला का निर्माण पशुपालन विभाग द्वार। निर्धारित मानकीकृत डिजाइन लागत के आधार पर कराया जायेगा। मानक आगणन 50 पशुओं के लिए रू0 46.00 लाख एवं 100 पशुओं के लिए रू0 66.00 लाख निर्धारित किया गया है। राज्य कर विभाग, उत्तराखण्ड की आवश्यकता एवं राजस्व संवर्धन के लिए राज्य कर विभाग, उत्तराखण्ड के विभागीय संरचनात्मक ढाँचे के पुनर्गठन के क्रम में कतिपय विभागीय पदों में वृद्धि एवं पूर्व सृजित संयुक्त आयुक्त के पद के स्थान पर नवीन पदों यथा संयुक्त आयुक्त, ग्रेड-2 तथा संयुक्त आयुक्त, ग्रेड-1 का सृजन किया गया है।
विभागीय पुनर्गठन के दृष्टिगत् राज्य कर विभाग, उत्तराखण्ड के अधिकारियों के सेवा सम्बन्धी मामलों के सरल निस्तारण के लिए वर्तमान में प्रचलित उत्तराखण्ड प्रान्तीय राजस्व सेवा (कर) नियमावली, 2016 के कतिपय नियमों में संशोधनों के उपरान्त उत्तराखण्ड प्रान्तीय राजस्व सेवा (कर) (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2025 को कैबिनेट ने दी मंजूरी। उत्तराखण्ड किशोर न्याय निधि नियमावली 2024 के तहत किशोर न्याय निधि के संचालन के लिए दिशा-निर्देश निर्गत किए जाने एवं किशोर न्याय निधि में उपलब्ध बजट का उपयोग कैसे किया जायेगा तथा अन्य निजी या गैर सरकारी संस्था तथा जिन जिन स्तरों से निधि में अनुदान प्राप्त होगा उसके उपयोग के सम्बन्ध में दिशा- निर्देश निर्गत किए जाने के लिए नियमावली गठन किए जाने का कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार सड़क पर रहने वाले बच्चा (स्ट्रीट चिल्डेन) के पुर्नवास के संबंध में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग एवं अन्य विभागों के सहयोग से मॉडल नीति ध् पुर्नवास नीति अर्थात् स्ट्रीट चिल्ड्रेन पॉलिसी बनाई जाने का कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय। मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना के क्रियान्वयन के संबंध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय। योजना का मुख्य उद्देश्य एकल (निराश्रित) परित्यक्ता, विधवा महिलाओं को उनके निवास स्थान ध् गाँव ध् क्षेत्र में ही रोजगार सृजन के लिए प्रोत्साहित करना, व उनकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करते हुए उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान कर उनके जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार करना है।
मुख्यमंत्री की प्राथमिकताओं में सम्मिलित कार्यक्रमों एवं योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के उददेश्य से कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग के नियंत्रणाधीन सचिवालय स्तर पर कार्यक्रम क्रियान्वयन प्रकोष्ठ का गठन किया गया, जिसमें सचिव, कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग, उक्त प्रकोष्ठ के पदेन मुख्य समन्वयक हैं। मुख्य समन्वयक को कार्यक्रम क्रियान्वयन प्रकोष्ठ के विभागाध्यक्ष घोषित करते हुए उत्तराखण्ड वित्तीय हस्तपुस्तिका खण्ड-1 वित्तीय अधिकारों का प्रतिनिधायन, वर्ष 2018 की अध्याय 4 परिशिष्ट-1 की सूची में अग्रेत्तर सम्मिलित किए जाने का कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना एवं मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना अति सूक्ष्म उद्यम को संविलियन कर बैंक ऋण सहबद्ध मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना 2.0 लागू किए जाने का कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय। योजनावधि में 50 हजार से अधिक लाभार्थियों को स्वरोजगार से सम्बद्ध करते हुये अधिकाधिक रोजगारध्सहायक रोजगार सृजित किए जाने का लक्ष्य है। विनिर्माणक उद्यम में रू0 25.00 लाख लागत तक सेवा तथा व्यापार (ट्रेडिंग) एवं अन्य व्यवसाय में रु. 10.00 लाख लागत तक और सूक्ष्म गतिविधिध्परियोजना में रू0 2.00 लाख लागत तक की परियोजना सम्मिलित की जायेंगी। पूर्व स्थापित इकाई के विस्तारीकरण के लिए लाभार्थी योजनान्तर्गत्त प्रावधानित व्यवस्थानुरूप पात्र होंगे।
जनपद वर्गीकरण के आधार एवं स्वीकृत परियोजना लागत के सापेक्ष 15 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक उपादान (मार्जिन मनी) सहायता के साथ ही भौगोलिक बूस्टर, सामाजिक बूस्टर एवं उत्पाद बूस्टर के रूप में उक्त में से किसी एक श्रेणी में 5 प्रतिशत अतिरिक्त उपादान (मार्जिन मनी) सहायता प्रदान की जायेगी।राज्य की भौगोलिक परिस्थिति एवं पर्यटकों की निरंतर संख्या वृद्धि तथा सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए रोप-वे परियोजनाओं का शीघ्र निर्माण किया जाना आवश्यक है। राज्य में रोप-वे परियोजना के निर्माण के लिए सक्षम तकनीकी परामर्शदाता के साथ एम.ओ.यू. निष्पादन किया जाना प्रस्तावित है। तद्क्रम में मजबूत सुरक्षा मापदण्डों के आधार पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की दो सर्वोच्च फर्म 1-क्वचचमसउंलत एवं 2-भ्ज्प् ळतवनच से सम्पर्क किया गया। एच.टी.आई. ग्रुप के अन्तर्गत तीन फर्म स्मपजदमत, ठंतजीवसमज एवं च्वतउं हैं। प्रतिउत्तर में मात्र एक फर्म ठंतजीवसमज द्वारा प्रस्ताव पर अपनी सहमति प्रदान की गयी है। मूल उपकरण निर्माता फर्म ठंतजीवसमज राज्य के तकनीकी परामर्शदाता के रूप में एम.ओ.यू. के तहत स्वयं के खर्च पर तकनीकी आर्थिक अध्ययन कर डी.पी.आर. तैयार करेगा। अतः राज्य में चिन्हित रोप-वे परियोजनाओं में से फर्म ठंतजीवसमज को पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में तपोवन (ऋषिकेश) से कुन्जापुरी (नरेन्द्रनगर) रोप-वे परियोजना के लिए राज्य सरकार के तकनीकी परामर्शदाता के रूप में एम.ओ.यू. निष्पादन किए जाने की अनुमति प्रदान की गयी है।
राज्य में पर्यटकों की संख्या वृद्धि एवं राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत आवागमन को सुगम सुरक्षित एवं सुविधाजनक बनाये जाने के लिए राज्य में विभिन्न स्थलों पर रोपवे विकसित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में पर्यटन विभाग तथा राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा राज्य में चिन्हित सभी रोपवे परियोजनाओं को विकसित किए जाने के दृष्टिगत एन.एच.एल.एम.एल. (नेशनल हाइवेज लोजिस्टिक्स मैनेजमेन्ट लिमिटेड) को प्रोमोटर के रूप में अधिकृत किया गया है। पर्यटन विभाग तथा एन.एच.एल.एम.एल. भारत सरकार द्वारा उत्तराखण्ड राज्य में परियोजनाओं का क्रियान्वयन निजी निवेशक के माध्यम क से पी.पी.पी. मोड (डी.बी.एफ.ओ.टी. एवं एच.ए.एम. मॉडल) के आधार पर किया जाना है। रोपवे परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए उत्तराखण्ड राज्य सरकार एवं एन.एच.एल.एम.एल. के मध्य एस.पी.वी. (न्ज्ज्।त्।ज्ञभ्।छक् त्व्च्म्ॅ।ल्ै क्म्टम्स्व्च्डम्छज् स्प्डप्ज्म्क्) के गठन की अनुमति प्रदान की गयी है।राज्य में उद्योगों एवं अन्य प्रतिष्ठानों के लिए 12 मीटर से कम ऊंचाई, परंतु 500 वर्ग मीटर से अधिक आच्छादित क्षेत्रफल एवं 12 मीटर से कम ऊंचाई, परंतु 500 वर्ग मीटर से कम आच्छादित क्षेत्रफल वाले लो राइज एवं मिक्स ऑक्यूपेन्सी भवनों की अग्निसुरक्षा व्यवस्था के लिए सामान्य ढांचागत व्यवस्था तथा नेशनल बिल्डिंग कोड में प्रावधानित अग्निसुरक्षा के मानकों में संशोधन के सम्बन्ध में लिया गया निर्णय।
राज्य में उद्योगों एवं अन्य प्रतिष्ठानों के लिए 12 मीटर से कम ऊंचाई, परंतु 500 वर्ग मीटर से अधिक आच्छादित क्षेत्रफल एवं 12 मीटर से कम ऊंचाई, परंतु 500 वर्ग मीटर से कम आच्छादित क्षेत्रफल वाले लो राइज एवं मिक्स ऑक्यूपेन्सी भवनों के इच्छुक आवेदकों को अग्निसुरक्षा व्यवस्था अनापत्ति प्रमाण पत्र निर्गमन में आ रही कठिनाइयों को दृष्टिगत रखते हुये अग्निसुरक्षा के लिए सामान्य ढांचागत व्यवस्था तथा नेशनल बिल्डिंग कोड में प्रावधानित अग्नि सुरक्षा उपकरणों के मानकों में उत्तर प्रदेश राज्य की तर्ज पर उत्तराखण्ड राज्य के परिप्रेक्ष्य में आवश्यक संशोधन किए जाने के प्रस्ताव पर मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया है।
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के कार्यों को पूर्ण करने के लिए राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन को औपचारिक रूप से कार्यदायी इकाई घोषित करने की कार्योत्तर स्वीकृति प्रदान कर राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन तथा परियोजना प्रबन्धन इकाई स्वजल में सुजित पदों की पूर्व वेतनमान सहित वर्षानुवर्ष कार्योत्तर निरंतरता दिनांक 01.03.2021 से दिनांक 31.03.2026 तक विस्तारित किए जाने की स्वीकृति प्रदान की गई है।
राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन एवं परियोजना प्रबन्धन इकाई, स्वजल में नियोजित कार्मिकों को दिनांक 01.03.2020 से पूर्व में दिए जा रहे वेतनध्मानदेय के अनुरूप वेतनध्मानदेय का भुगतान राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन के द्वारा किया जाने का निर्णय लिया गया है। उत्तराखण्ड राज्य में लेखपत्रों के निबंधन की प्रक्रिया में वर्चुअल रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को पंजीकरण की कार्यवाही में कार्यान्वयन किए जाने के सम्बन्ध में लिया गया निर्णय।
स्टाम्प एवं निबंधन विभाग के कार्यालयों में लेखपत्र के साथ उपस्थित होकर पंजीकरण करने की व्यवस्था अद्यतन विद्यमान है। पंजीकरण के उपरांत स्कैन्ड कॉपी मुद्रित कर कार्यालयों में अनुरक्षित की जाती है तथा मूल लेखपत्र पक्षकार को प्राप्त करना होता है। उक्त व्यवस्था को तकनीकी रूप से उन्नत करते हुए लेखपत्रों के निबंधन की प्रक्रिया में चरणबद्ध तरीके से सुधार किया जा रहा है। तकनीकी उन्नयन के अंतर्गत पेपरलेस रजिस्ट्रेशन तथा आधार ऑथेंटिकेशन एवं वर्चुअल रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया गतिमान है। उक्त व्यवस्था को अपनाये जाने के लिए संशोधन नियमावली को दी गई मंजूरी।
उक्त प्रक्रिया के अस्तित्व में आने के पश्चात पक्षकार अपने ही स्थान से लेखपत्र को तैयार कर आनलाइन लिंक के माध्यम से प्रस्तुत कर सकेंगें एवं स्टाम्प ड्यूटी एवं रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान ऑनलाईन माध्यम से कर पायेंगे। पक्षकार उप निबंधक कार्यालय में उपस्थित होकर ध् वीडियो के.वाई.सी. के माध्यम से सत्यापन कर एवं विलेख में वर्णित तथ्यों का परीक्षण करने के उपरांत विलेखों के पंजीकरण की कार्यवाही को ई-साईन के माध्यम से पूर्ण करेंगें तत्पश्चात व्हाट्सएप व ई-मेल के माध्यम से तत्काल पक्षकार को दस्तावेज का प्रेषण किया जायेगा। उक्त प्रक्रिया को आधार प्रमाणीकरण से अंर्तसम्बन्धित किया जाने से जनसुविधा के साथ-साथ छद्म प्रतिरुपण धोखाधड़ी से मुक्ति मिलेगी। उक्त के परिणामस्वरूप पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा।
वित्त विभाग की अधिसूचना सं0-27057/2023, दिनांक 07 नवम्बर, 2023 में उल्लिखित अधिसूचित पदों का तात्पर्य चयन आयोगों द्वारा प्राप्त अधियाचनों के क्रम में भर्ती संबंधी विज्ञप्ति जारी किए जाने से है। अंतः विभिन्न चयन आयोगों तथा विभागीय स्तर पर किए जाने वाले चयन के संबंध में जारी विज्ञप्ति तिथि (दि. 01. अक्टूबर, 2005) के आधार पर चयनित कार्मिको को पुरानी अथवा नवीन पेंशन योजना में सम्मिलित किए जाने के लिए एक बार का विकल्प दिए जाने का निर्णय। उत्तराखण्ड प्राविधिक शिक्षा विभाग (अप्राविधिक और अराजपत्रित) सेवा नियमावली, 2008 में पुस्तकालयाध्यक्ष पद के लिए निर्धारित अनिवार्य अर्हता से उच्चतर योग्यताधारी (बी.लिब., एम.लिब.) अभ्यर्थियों के चयन नियुक्ति के सम्बन्ध में निर्णय। उच्च शिक्षा विभाग की तरह प्राविधिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत पुस्तकालयाध्यक्ष पद पर उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ध् उत्तराखण्ड प्राविधिक शिक्षा परिषद द्वारा पूर्व में आयोजित परीक्षा में उत्तराखण्ड प्राविधिक शिक्षा विभाग (अप्राविधिक और अराजपत्रित) सेवा नियमावली, 2008 में विहित अनिवार्य अर्हता से उच्चतर बी.लिब., एम.लिब. योग्यताधारी अभ्यर्थियों के चयनध्नियुक्ति के सम्बन्ध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय।
उत्तराखण्ड मोटरयान कराधान सुधार अधिनियम के अधीन मोटर यान पर ग्रीन सेस की निर्धारित दरों में वृद्धि के संबंध में कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय। उत्तराखण्ड मोटरयान कराधान सुधार अधिनियम एवं नियमावली, 2003 के अन्तर्गत वर्तमान में प्रवेश उपकर तथा ग्रीन सेस की दरों को सम्मिलित करते हुए उत्तराखण्ड राज्य में पंजीकृत एवं राज्य में प्रवेश करने वाले अन्य राज्य के व्यवसायिक एवं निजी वाहनों के लिए ग्रीन सेस की दरें निर्धारित की गयी हैं। प्रवेश उपकर की दरें वर्ष 2017 में निर्धारित की गयी थी, जिसके पश्चात उक्त दरों में कोई वृद्धि नहीं की गयी है। वर्ष 2017 से मुद्रा स्फीति में लगभग 28-30 प्रतिशत की वृद्धि होने के दृष्टिगत दरों में वृद्धि की गयी है, जिससे राज्य के राजस्व में वृद्धि होगी। राज्य में अन्य राज्यों के वाहनों द्वारा प्रवेश करने पर ग्रीन उपकर की वसूली फास्टैग के माध्यम से की जायेगी।
तीर्थाटन इस क्षेत्र की एक प्रमुख पर्यटन विधा रही है, जिसमें चारधाम यात्रा, नन्दादेवी राजजात यात्रा एवं आदि कैलाश यात्रा आदि कुछ प्रमुख घार्मिक यात्रायें हैं। वर्तमान समय में बेहतर परिवहन व्यवस्था, सड़क, रेल एवं वायु सेवा की सुलभता के कारण इन यात्राओं ध् मेलों में तीर्थयात्रियोंध्श्रद्धालुओं की अप्रत्याशित वृद्धि को दृष्टिगत रखते हुये प्रमुख धार्मिक यात्राओं मेलों के उचित प्रबन्धन के लिए एक पृथक नियंत्रण एवं प्रबन्धन इकाई की आवश्यकता को मध्यनजर रखते हुये धार्मिक यात्राओं एवं मेलों के लिए निम्न उद्देश्यों सहित उत्तराखण्ड धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद् गठन किए जाने का कैबिनेट द्वारा लिया गया निर्णय। इसके तहत धार्मिक यात्राओं एवं मेलों के लिए समुचित प्रबन्धन एवं संचालन। धार्मिक यात्राओं एवं मेलों के लिए बेहतर मूलभूत अवस्थापना सुविधाओं का सृजन, सुद्धीकरण तथा रखरखाव आदि करना तथा धार्मिक यात्राओं एवं मेलों को सहज, सुगम, सुरक्षित एवं सुखद बनाया जाना है। उक्त परिषद के माध्यम से चारधाम यात्रा, आदि कैलाश यात्रा, पूर्णागिरी यात्रा एवं नन्दादेवी राजजात यात्रा आच्छादित होगी। उक्त परिषद के लिए पृथक से बजट प्राविधान भी किया गया है।