वैदिक ब्राह्मण महासभा ने धर्म ग्रंथों और पंचागों का किया अवलोकन
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ऋषिकेश (रिपोर्टर)। वैदिक ब्राह्मण महासभा ने दीपावली पर्व की तिथि को लेकर असमंजस दूर कर दिया है। महासभा के अनुसार प्रचलित पंचागों और धर्मग्रंथों के आधार पर दीपावली का मुख्य पर्व एक नवंबर को ही मनाना शास्त्र सम्मत है।
गुरुवार को वैदिक ब्राह्मण महासभा की जर्नादन आश्रम में आयोजित विशेष बैठक में दीपावली पर्व मनाने के संबंध में असमंजस की स्थिति पर चर्चा की गई। केशव स्वरूप ब्रह्मचारी के सानिध्य में महासभा ने काशी विद्वत सभा, उत्तराखंड में प्रचलित पंचांगों व प्रमाणिक धर्म ग्रंथों निर्णय सिंधु, धर्म सिंधु के आधार पर दीपावली पर्व को 01 नवंबर के दिन मनाना स्वीकार किया।
केशव स्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि धर्म सिंधु पुरुषार्थ चिंतामणि, तिथि, निर्णय, व्रत, पर्व व विवेक आदि ग्रंथों में दिए हुए वचनों का विचार कर के दोनों दिन प्रदोष काल में अमावस्या की व्याप्ति कम या अधिक होने पर दूसरे दिन की अमावस्या के दिन लक्ष्मी पूजन करना शास्त्र सम्मत है।
महासभा महामंत्री आचार्य शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा प्रदोष काल में अमावस्या अल्पकाल होती है, तब उस दिन सायंकाल ओर प्रदोष काल इन दोनों कालों में अमावस्या रहती हैं। अमावस्या ओर प्रतिपदा का युग्म होने से युग्म को महत्व देकर प्रतिपदा युक्त अमावस्या के दिन लक्ष्मी पूजन करना श्रेष्ठ है।
इस अवसर पर जगमोहन मिश्रा, शिव प्रसाद सेमवाल, सुरेश पंत, जगदीश जोशी, रामकृष्ण कोठियाल, केशव बहुगुणा, अमित कोठारी, सुनील भट्ट, मुकेश थपलियाल, अनुज, राकेश, मोहित भट्ट आदि मौजूद थे।