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ऋषिकेश (रिपोर्टर)। एम्स के डॉक्टरों ने मांझे से कटी गर्दन की सर्जरी कर पीड़ित को नया जीवन दिया है। चिकित्सकों के अनुसार यह केस ग्रेड 4 शॉक कैटेगरी का था।
एम्स ने पीड़ित नरेश कुमार (43) निवासी बिजनौर, उत्तर प्रदेश के परिजनों के हवाले से बताया कि नरेश बेटे का इलाज कराने कुछ दिन पहले दुपहिया वाहन से एम्स आ रहे थे। जो कि हरिद्वार हाईवे पर चाइनीज मांझे की चपेट में आकर गंभीररूप से घायल हो गए। परिजन ने उन्हें समीपवर्ती अस्पताल ले गए, जहां से पेशेंट को वेंटीलेटर पर एम्स रेफरल कर लाया गया।
चिकित्सकों ने बताया कि जब घायल को इमरजेंसी में लाया गया, तब तक काफी हद तक रक्त बह चुका था। बीपी और धड़कन नहीं आ रही थी। ट्रॉमा इमरजेंसी टीम ने तत्काल प्रारंभिक जांच, उपचार के साथ रक्त चढ़ाकर स्टेबल किया और ऑपरेशन शुरू किया।
ट्रॉमा सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. कमर आजम, सर्जन डॉ. मधुर उनियाल व डॉ. नीरज कुमार की देखरेख में डॉ. रूबी के नेतृत्व में ओपरेटिंग टीम सदस्य डॉ. संतोष, डॉ. रोहित व एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. अंकिन व डॉ. रीना ने जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
डॉ. रूबी ने बताया कि यह केस काफी क्रिटिकल था। मांझे से मरीज की गर्दन काफी गहरी कट गई थी। उसके खाने और सांस की नली व रक्त ध्वनियां जो दिल से दिमाग को खून देने का सिस्टम पूरी तरह से डैमेज था। बताया कि सर्जरी के बाद सात दिन वेंटीलेटर पर आईसीयू में चिकित्सकीय निगरानी में रखा गया। इसके बाद मरीज़ सामान्यरूप से भोजन व सांस ले रहा था। उसे बोलने में भी कोई परेशानी नहीं थी। मरीज को ओटी के बाद कोई भी न्यूरोनल डेफिसिट की शिकायत नहीं थी।
घातक हो सकती है मांझे की इंज्युरी
एम्स के ट्रॉमा विशेषज्ञ के अनुसार माझे की इंज्युरी बहुत अधिक घातक हो सकती है। सुरक्षा के लिए उन्होंने दुपहिया वाहन चलाने के दौरान मफलर बांधने व हेलमेट लगाकर चलने का सुझाव दिया है।