अपने लहू से सींचकर इस धरती को खुशहाल बनाया है, देश के सैनिकों ने इस माटी का ऋण चुकाया है: कुसुम सिंह

 

 

खबर काम की
ऋषिकेश (रिपोर्टर)। वीरभद्र रोड वरिष्ठ कवि महेश चिटकारिया के आवास पर एक काव्य गोष्ठी एवं कानपुर से आयी राष्ट्रीय कवयित्री कुसुम सिंह “अबिचल “का अभिनंदन कार्यक्रम आयोजित हुआ।

उत्तराखंड लोक कला एवं साहित्य मंच के के अध्यक्ष अनिल कुकरेती एवं सचिव गोपाल भटनागर द्वारा राष्ट्रीय कवि अबिचल का पुष्प गुच्छ, स्मृति चिन्ह एवं शाल एवं अभिनंदन पत्र देकर उनके साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें संस्था की ओर से सम्मानित किया गया

काव्य गोष्ठी में कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की
सबसे पहले आचार्य रामकृष्ण पोखरियाल मां गंगा की वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
कहा -कि तेरी इन चंचल लहरों में
तेरे शीतल निर्मल जल में।
इस देश के गौरव गाथा है
तुझ से संचित यह धाता है
जय मां गंगे अविरल गंगे।।

कवि अशोक क्रेजी ने
खामोश जल रहा हूं
रहता हूं गूंगे और बहरों की बस्ती में
तम को हटाने का प्रयास कर रहा हूं
ख़ामोश जल रहा हूं
ख़ामोश जल रहा हूँ।।

कवि महेश चितकारिया जी ने सामाजिक व्यवस्था पर तंज करते हुए ” हाकिम भी शामिल हैं इसमें, कौन हल्के करेगा बस्ते ” अपनी कविता को प्रस्तुत की
काव्यांश प्रकाशक के निदेशक और कबि प्रबोध उनियाल ने
कैसा सुंदर है यह बरसात का सावन
मन हिलोरे लेता है कहता है मनभावन
वर्षा ऋतु का वर्णन सुनाया
कवि सत्येंद्र चौहान सोशल ने अग्नि वीर पर अपनी कविता प्रस्तुत की
कवियत्री अबिचल ने देश के सैनिकों के नाम अपनी कविता को इस प्रकार से प्रस्तुत की
अपने लहू से सींचकर इस धरती को खुशहाल बनाया है,
देश के सैनिकों ने इस माटी का ऋण चुकाया है।।

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