जस्टिस यशवंत वर्मा के ही थे जब्त किए गए नोट, कमेटी ने की बर्खास्तगी की सिफारिश

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नई दिल्ली (सीनियर रिपोर्टर)। दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास के स्टोर रूम से भारी मात्रा में जब्त नोट उन्हीं के थे। मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कदाचार का इतना गंभीर मामला है कि जस्टिस वर्मा को पद से हटाने की कार्यवाही करने की जरूरत है। समिति ने कहा कि ये छोटी राशि नहीं है, जिसे जस्टिस वर्मा या उनके परिवार के सदस्यों की सहमति के बगैर आवास के स्टोर रूम में रखा जा सके। मामले में 55 गवाहों के बयान और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के विश्लेषण के बाद समिति ने जस्टिस वर्मा की उन दलीलों को ठुकरा दिया, जिसमें कहा गया था कि उनके आवास के स्टोर रूम में आग बुझाने के दौरान कथित तौर पर बरामद नकदी से उनका या परिवार का लेना-देना नहीं।

पुलिस की लापरवाही उजागर: समिति ने कहा कि जांच के दौरान पुलिस से लापरवाही हुई है। आग बुझाने के बाद पुलिस ने पंचनामा क्यों नहीं बनाया। समिति ने कहा कि उसका अधिकार क्षेत्र अग्निशमन कर्मियों या पुलिस की कार्रवाई या निष्क्रियता में दोष ढूंढना नहीं था, इसलिए, हमारे लिए उचित नहीं होगा कि हम पुलिस और अग्निशमन के काम करने के तरीके पर टिप्पणी करें। समिति ने कहा कि जिस तरह उचित पंचनामा और जब्ती ज्ञापन के बिना कार्यवाही समाप्त कर दी गई, इसे लापरवाही ही कहा जा सकता है।

महाभियोग की सिफारिश की थीः केंद्र सरकार मानसून सत्र में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाएगी। तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने आठ मई को समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री मोदी को साझा करते हुए जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए महाभियोग लाने की सिफारिश की थी।

जस्टिस वर्मा पर बड़ी कार्रवाई की सिफारिश
दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज और अब इलाहाबाद हाईकोर्ट में कार्यरत जस्टिस यशवंत वर्मा पर बड़ी कार्रवाई की सिफारिश की गई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जस्टिस वर्मा और उनके परिवार का दिल्ली स्थित उनके सरकारी बंगले में पाई गई बड़ी मात्रा में अधजली नगदी पर ‘प्रत्यक्ष नियंत्रण‘ था। इस आधार पर कमेटी ने उनकी बर्खास्तगी की सिफारिश की है।
घटना की शुरुआत दृ एक मामूली आग से
यह मामला 14 मार्च की रात 11ः35 बजे शुरू हुआ, जब दिल्ली के लुटियंस जोन में स्थित जज वर्मा के सरकारी आवास (30 तुगलक क्रेसेंट) में आग लग गई। दमकल कर्मियों और पुलिस ने आग बुझाई, लेकिन जब वे अंदर पहुंचे, तो वहां आधी जली हुई बड़ी मात्रा में ₹500 के नोट पड़े मिले। कई प्रत्यक्षदर्शियों ने इसे देखकर हैरानी जताई और कहा कि उन्होंने अपने जीवन में पहली बार इतनी नगदी एक साथ देखी।
मामले में आगे क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश के आधार पर पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की संवैधानिक प्रक्रिया की सिफारिश की है। यदि संसद इस सिफारिश को मंजूरी देती है, तो जस्टिस यशवंत वर्मा देश के उन गिने-चुने जजों में शामिल होंगे जिन पर इस तरह की संवैधानिक कार्रवाई हुई हो।

 

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