स्वर्गाश्रम-जौंक में आवारा सांडों का आंतक, कभी भी हो सकता हैं बड़ा हादसा

 

स्वर्गाश्रम गद्दी के सामने सांडों की लड़ाई, अफरा तफरी का माहौल

देश-विदेश के घुमने आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है निकाय प्रशासन

खबर काम की
स्वर्गाश्रम-जौंक (रिपोर्टर)। स्वर्गाश्रम-जौंक में सांडों का आंतक बना हुआ है ये सांड अक्सर कहीं भी कभी भी लड़ जाते है। जिससे अफरा तफरी का माहौल उत्पन्न हो जाता है खासकर देश-विदेश से आए पर्यटक को जो फ्री माइंड होकर घूम रहे होते है उनकी जान सासंत मंे आ जाती है। बावजूइ इसके निकाय प्रशासन ठोस कार्रवाई के बजाय किसी बड़े हादसे के इंतजार मंे बैठा है।
इन दिनों यात्रा सीजन चल रहा है जिससे लाखों की संख्या में देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों की आमद पर्यटन की लिहाज से काफी महत्वपूर्ण क्षेत्र स्वर्गाश्रम-जौंक है। लेकिन यहां सांडों की लड़ाई से माहौल डरवाना हो रखा है। बीते दिनों नगर पंचायत स्वर्गाश्रम-जौंक वार्ड-03 के स्वर्गाश्रम गद्दी के बाहर शाम के समय अचानक भिड़ गए इससे वहां मौजूद पर्यटकों ने गद्दी में भागकर जान बचाई। पास ही खड़ी स्कूटी भी इनकी लड़ाई मंे क्षतिग्रस्त हो गइ। सांड लड़ते-लड़ते गीताआश्रम टैक्सी स्टैंड की ओर भागे जिससे उधर से आ रहे लोगों ने दांए बाएं होकर सांड से बचाव किया। सोचिए अगर इस दौरान कोई बड़ा हादसा हो जाता तो इसके लिए कौन जिम्मेवार होता।
जनहित में कार्रवाई की मांगः
स्थानीय लोगों ने निकाय प्रशासन से आवारा सांडों को पकड़कर शहर से बाहर करने की स्थाई मांग की है।
सोशल मीडिया पर चचार्ः
समाजसेवी शिव चन्द्र राय ने कहा कि आवरा सांडांे की लड़ाई शहर की गंभीर समस्या जिसे वे सोशल मीडिया के साथ ही पत्रचार के माध्यम से उठाते आ रहे है। लेकिन निकाय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की ओर से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है और न ही इस ओर कोई स्थाई कदम उठाया जा रहा है।
इंसेट
ये है नियम….
उत्तराखंड गौवंश संरक्षण अधिनियम-2007 यथा संशोधित अधिनियम 2015 की धारा-8 के तहत अपने पशुओं को सड़कों पर खुला छोड़ना दंडनीय अपराध है। सड़कों पर पशु को खुला छोड़ने वाले पशु स्वामी पर 2000 रु प्रति पशु आर्थिक दंड का प्रावधान है। पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 की धारा-11 के तहत भी पशुओं को परित्यक्त करना पशुओं के प्रति क्रूरता है।

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