1 लाख 33 हजार सर्जरी का रिकॉर्ड 10 वर्षों में बना

खबर काम की
ऋषिकेश (रिपोर्टर)। एम्स ऋषिकेश ने 10 वर्षों में 1 लाख 33 हजार लोगों की सर्जरी का रिकॉर्ड बनाया है। इसमें तीन दिन से लेकर 90 साल तक के बुर्जुग की सर्जरी शामिल है। वहीं, एम्स की ओपीडी में अब तक 53 लाख 45 हजार लोग इलाज के लिए पहुंचे हैं। जिनमें से अस्पताल में भर्ती 3 लाख 84 हजार 400 का उपचार किया गया है।

एम्स प्रशासन के मुताबिक रीढ़ की हड्डी में न्यूरो की समस्या से जूझ रहे मरीज की सबसे पहले 2 जून 2014 को सर्जरी की गई थी। तत्कालीन निदेशक एवं न्यूरो सर्जन डॉ. राजकुमार ने इस सर्जरी को अंजाम दिया था। जिसके बाद एम्स की ओपीडी में रोगियों की संख्या बढ़ती रही। जिसके मद्देनजर संस्थान ने स्वास्थ्य तकनीकों का विस्तार भी किया। नतीजतन 31 दिसम्बर 2024 तक कुल 1 लाख 33 हजार 329 सर्जरी पूरी हो चुकी हैं। एम्स में वर्ष 2014 के दौरान 4 ऑपरेशन थियेटर थे, जिनकी संख्या बढ़कर अब 64 हो चुकी है।

3 दिन के नवजात की सर्जरी
कुछ ऐसे भी नवजात होते हैं जिनकी आहार नाल, सांस नली के साथ चिपकी रहती है। ऐसे बच्चे जन्म लेने के दौरान से ही न तो स्तनपान कर सकते हैं और न ही उनके मुंह से कोई तरल पेय अन्दर जा सकता है। एम्स में ऐसे नवजातों की सर्जरी पिडियाट्रिक सर्जन करते हैं। 9 जुलाई 2022 को ऐसी ही समस्या से ग्रसित एक नवजात की सर्जरी की गयी। यह बच्चा एम्स में भर्ती करते समय मात्र 4 घन्टे का था। एक दिन बाद डॉक्टरों ने इसकी सर्जरी कर दी थी। पिथौरागढ़ का यह बच्चा स्वस्थ होकर अब ढाई साल का हो गया है।

90 साल की वृद्धा की भी हो चुकी सर्जरी
अति वृद्धावस्था वाले लोगों में पैर फिसलने की वजह से कूल्हा टूट जाने अथवा कूल्हा हिल जाने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। एम्स के ऑर्थोपेडिक विभाग के सर्जन ऐसे लोगों की सर्जरी कर कूल्हे का प्रत्यारोपण कर देते हैं। कूल्हा खिसक जाने से पीड़ित छिद्दरवाला की रहने वाली 89 साल से अधिक आयु की ऐसी एक पेशेन्ट की सर्जरी एम्स में 2 मई 2020 को की गयी थी।

अंगों का भी हो रहा प्रत्यारोपण
पिछले वर्ष कांवड़ यात्रा मे आया एक कांवड़िया रूड़की के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। सिर पर गंभीर चोट की वजह से कौमा में जाने के बाद 30 जुलाई को डॉक्टरों की टीम ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया था। बाद में परिजनों ने स्वेच्छा से इस कांविड़ये के अंग दान कर दिए। जिन्हें चंडीगढ़ और दिल्ली के अस्पतालों में भर्ती रोगियों को प्रत्यारोपित करने का कार्य भी एम्स ऋषिकेश द्वारा बखूबी निभाया जा चुका है।

यह बोले अधिकारी
• संस्थान में न्यूरो सर्जरी, कार्डियक सर्जरी, पिडियाट्रिक सर्जरी, यूरोलॉजी और सभी तरह के कैंसर रोग से संबन्धित सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है। यह सभी सुपर स्पेशिलिटी स्तर की सर्जरी हैं। आपात् स्थिति के मरीजों के इलाज की आवश्यकता हो देखते हुए अस्पताल के ट्रॉमा सेन्टर में 2 ऑपरेशन थियेटर विशेष तौर से संचालित हो रहे हैं। यहां मेजर और माईनर स्तर पर औसतन 10-15 सर्जरी प्रतिदिन की जाती है।
– प्रो. सत्या श्री, चिकित्सा अधीक्षक

• इलाज की आवश्यकता को देखते हुए अस्पताल मे ओटी व्यवस्था रात-दिन संचालित की जा रही हैं। वर्ल्ड क्लास हेल्थ फेसिलिटी और स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में संस्थान की दृढ़ संकल्पिता का ही परिणाम है एम्स में अब अंग प्रत्यारोपण की सुविधा भी उपलब्ध है। गम्भीर बीमारी से जूझ रहे लोगों को जीवन बचाने के लिए अब राज्य से बाहर के अस्पतालों की ओर रूख करने की आवश्यकता नहीं है।
– प्रो. मीनू सिंह, कार्यकारी निदेशक

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